Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 May 2020 · 1 min read

हादसा

( हादसा)

देख हादसा हुआ जहां ,
मन मैरा घबरा गया,।

क्या हालत हुई होगी गरीब की,
मैरी आंखों में पानी आ गया,।

भूखें प्यासे चल दिए,
और पांव छाले पढ़ गये,।

डेढ़ सो रोटी हाथ लिए,
वो बीस लोग एक साथ थे,।

पैसा न था किसी के पास,
वो चलने को एक साथ थे,।

हाथ पैर जब तक गये,
वो और वहीं पर सो गये,।

इन स्वार्थी नेताओं के देश में,
वो अनमोल मानव खो गये,।

सोहलाओं ने तोड़ा दम,
एक अभी बैहाल हैं,।

वो तीन बिचारे घबरा गये,
देख ऐसा मंज़र वहां,।

आॅखों में आॅसूं थे उनकी,
बिखरे पढ़ें थे अपने वहां,।

औरंगाबाद जिला लकक्ष था,
महाराष्ट्र से वो चल दिए थे,।

शहडोल , उमरिया के वासी थे,
मध्यप्रदेश उनका राज्य था,।

अपनों से न मिल पाए वो,
क्षत विक्षत उनका शरीर था,।

वो मिल पाते अपनों से,
वो भी किसी के घर के वीर थे,‌।

हे ईश्वर मिलें उन्हें शांति,
उनके परिवार का हृदय धीर हो,‌

देख हादसा हुआ जहां ,
मन मैरा घबरा गया,।

क्या हालत हुई होगी गरीब की,
मैरी आंखों में पानी आ गया,।।

??
लेखक—Jayvind Singh Ngariya ji

Language: Hindi
1 Like · 316 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नम्रता
नम्रता
ओंकार मिश्र
हाइकु
हाइकु
Prakash Chandra
" नेतृत्व के लिए उम्र बड़ी नहीं, बल्कि सोच बड़ी होनी चाहिए"
नेताम आर सी
मोहक हरियाली
मोहक हरियाली
Surya Barman
ରାତ୍ରିର ବିଳାପ
ରାତ୍ରିର ବିଳାପ
Bidyadhar Mantry
हाँ, कल तक तू मेरा सपना थी
हाँ, कल तक तू मेरा सपना थी
gurudeenverma198
ठहराव नहीं अच्छा
ठहराव नहीं अच्छा
Dr. Meenakshi Sharma
देश-विक्रेता
देश-विक्रेता
Shekhar Chandra Mitra
अपने प्रयासों को
अपने प्रयासों को
Dr fauzia Naseem shad
"फंदा"
Dr. Kishan tandon kranti
उल्फ़त का  आगाज़ हैं, आँखों के अल्फाज़ ।
उल्फ़त का आगाज़ हैं, आँखों के अल्फाज़ ।
sushil sarna
महसूस कर रही हूँ बेरंग ख़ुद को मैं
महसूस कर रही हूँ बेरंग ख़ुद को मैं
Neelam Sharma
बिन गुनाहों के ही सज़ायाफ्ता है
बिन गुनाहों के ही सज़ायाफ्ता है "रत्न"
गुप्तरत्न
कोई चोर है...
कोई चोर है...
Srishty Bansal
छह ऋतु, बारह मास हैं, ग्रीष्म-शरद-बरसात
छह ऋतु, बारह मास हैं, ग्रीष्म-शरद-बरसात
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जूते और लोग..,
जूते और लोग..,
Vishal babu (vishu)
#drarunkumarshastriblogger
#drarunkumarshastriblogger
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हरितालिका तीज
हरितालिका तीज
Mukesh Kumar Sonkar
24/234. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/234. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
याद रे
याद रे
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
इश्क की वो  इक निशानी दे गया
इश्क की वो इक निशानी दे गया
Dr Archana Gupta
मेरी कविता
मेरी कविता
Raju Gajbhiye
बेटी और प्रकृति से बैर ना पालो,
बेटी और प्रकृति से बैर ना पालो,
लक्ष्मी सिंह
ना रहीम मानता हूँ मैं, ना ही राम मानता हूँ
ना रहीम मानता हूँ मैं, ना ही राम मानता हूँ
VINOD CHAUHAN
फोन
फोन
Kanchan Khanna
नरसिंह अवतार
नरसिंह अवतार
Shashi kala vyas
होली गीत
होली गीत
umesh mehra
गले से लगा ले मुझे प्यार से
गले से लगा ले मुझे प्यार से
Basant Bhagawan Roy
एक उदासी
एक उदासी
Shweta Soni
*मिठाई को भी विष समझो, अगर अपमान से आई (मुक्तक)*
*मिठाई को भी विष समझो, अगर अपमान से आई (मुक्तक)*
Ravi Prakash
Loading...