हादसा
( हादसा)
देख हादसा हुआ जहां ,
मन मैरा घबरा गया,।
क्या हालत हुई होगी गरीब की,
मैरी आंखों में पानी आ गया,।
भूखें प्यासे चल दिए,
और पांव छाले पढ़ गये,।
डेढ़ सो रोटी हाथ लिए,
वो बीस लोग एक साथ थे,।
पैसा न था किसी के पास,
वो चलने को एक साथ थे,।
हाथ पैर जब तक गये,
वो और वहीं पर सो गये,।
इन स्वार्थी नेताओं के देश में,
वो अनमोल मानव खो गये,।
सोहलाओं ने तोड़ा दम,
एक अभी बैहाल हैं,।
वो तीन बिचारे घबरा गये,
देख ऐसा मंज़र वहां,।
आॅखों में आॅसूं थे उनकी,
बिखरे पढ़ें थे अपने वहां,।
औरंगाबाद जिला लकक्ष था,
महाराष्ट्र से वो चल दिए थे,।
शहडोल , उमरिया के वासी थे,
मध्यप्रदेश उनका राज्य था,।
अपनों से न मिल पाए वो,
क्षत विक्षत उनका शरीर था,।
वो मिल पाते अपनों से,
वो भी किसी के घर के वीर थे,।
हे ईश्वर मिलें उन्हें शांति,
उनके परिवार का हृदय धीर हो,
देख हादसा हुआ जहां ,
मन मैरा घबरा गया,।
क्या हालत हुई होगी गरीब की,
मैरी आंखों में पानी आ गया,।।
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लेखक—Jayvind Singh Ngariya ji