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3 Oct 2021 · 1 min read

हादसा हिज्र का

चंद अश’आर **

【 उनवान – ” हादसा हिज्र का “】

कैसी कश्मक़श है ज़िंदगानी में ।
क्यूँ लगी फ़िर आग पानी में ।।

दीदार ए यार की हसरत नहीं थी ।
इश्क़ रूठा है उनसे जवानी में ।।

हिज्र का हादसा भी लिखा था ।
मेरे अरमानों की कहानी में ।।

तुम बेवफ़ाई का मुजस्समा हो ।
क्या कह दिया मैंने नादानी में ।।

सोचकर अब तलक़ हैरां हूँ “काज़ी” ।
क्या मोती जड़े थे उस दीवानी में ।।

©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी ,इंदौर
©काज़ीकीक़लम

28/3/2 ,अहिल्या पल्टन ,इक़बाल कालोनी ,इंदौर
मध्यप्रदेश

2 Likes · 4 Comments · 307 Views
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