Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Nov 2016 · 1 min read

हाथ हाथों में हम लिये साथी

हाथ हाथों में हम लिये साथी
दूर दुनिया से चल दिये साथी

आज है चाह किसको मंज़िल की
जाम राहों मे ही पिये साथी

जो मिले ज़ख़्म हमको दुनिया से
प्रेम धागों से वे सिये साथी

प्यार मे दर्द जो मिले हमको
हमने खुश हो सभी पिये साथी

किये वादे भी ,खायीं क़समें भी
पर निभाये भी जो किये साथी

ख़ास रस्ते थे हम जिधर निकले
और पल खूब वे जिये साथी

चल दिये दिल की राह पर ऐ ‘सरू’
हम तो तेरे ही हो लिये साथी

1 Comment · 248 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

सोशल मीडिया
सोशल मीडिया
Raju Gajbhiye
सुरमई शाम का उजाला है
सुरमई शाम का उजाला है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बाबाओं की फौज
बाबाओं की फौज
Mukesh Kumar Rishi Verma
जिंदगी माना कि तू बड़ी खूबसूरत है ,
जिंदगी माना कि तू बड़ी खूबसूरत है ,
Manju sagar
मुझे भी
मुझे भी "याद" रखना,, जब लिखो "तारीफ " वफ़ा की.
Ranjeet kumar patre
इन्दजार.
इन्दजार.
Heera S
"हिंदी एक राष्ट्रभाषा"
राकेश चौरसिया
दुनिया की हर वोली भाषा को मेरा नमस्कार 🙏🎉
दुनिया की हर वोली भाषा को मेरा नमस्कार 🙏🎉
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*प्रेम*
*प्रेम*
डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद"
फिर लौट आयीं हैं वो आंधियां, जिसने घर उजाड़ा था।
फिर लौट आयीं हैं वो आंधियां, जिसने घर उजाड़ा था।
Manisha Manjari
- रिश्तों से आजकल लोग गरीब हो गए -
- रिश्तों से आजकल लोग गरीब हो गए -
bharat gehlot
तुम आना
तुम आना
Dushyant Kumar Patel
3342.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3342.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
" वाह री दुनिया "
Dr. Kishan tandon kranti
"नींद की तलाश"
Pushpraj Anant
एक राखी बाँधना स्वयं की कलाई में
एक राखी बाँधना स्वयं की कलाई में
Saraswati Bajpai
मोबाइल
मोबाइल
पूर्वार्थ
दिल कि गली
दिल कि गली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कैसी होती हैं
कैसी होती हैं
Dr fauzia Naseem shad
#व्यंग्य
#व्यंग्य
*प्रणय*
बेडी परतंत्रता की 🙏
बेडी परतंत्रता की 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हम पचास के पार
हम पचास के पार
Sanjay Narayan
#लेखकीय धर्म
#लेखकीय धर्म
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
*बाद मरने के शरीर, तुरंत मिट्टी हो गया (मुक्तक)*
*बाद मरने के शरीर, तुरंत मिट्टी हो गया (मुक्तक)*
Ravi Prakash
हम ऐसी मौहब्बत हजार बार करेंगे।
हम ऐसी मौहब्बत हजार बार करेंगे।
Phool gufran
अंदाज अपना क्यों बदलूँ
अंदाज अपना क्यों बदलूँ
gurudeenverma198
गुस्सा करते–करते हम सैचुरेटेड हो जाते हैं, और, हम वाजिब गुस्
गुस्सा करते–करते हम सैचुरेटेड हो जाते हैं, और, हम वाजिब गुस्
Dr MusafiR BaithA
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
सवाल
सवाल
Ruchi Sharma
हे राम तुम्हीं कण कण में हो।
हे राम तुम्हीं कण कण में हो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
Loading...