हाथ में इक खत पुराना आ गया।
हाथ में इक खत पुराना आ गया।
याद फिर गुजरा जमाना आ गया।। 1
प्यार से देखा उन्होने जब हमें।
तो हमें भी मुस्कुराना आ गया।। 2
जल गया सारा शहर तकरीर से।
सोचिये! कैसा जमाना आ गया।। 3
हो गया नेता बडा़ वो ही जिसे।
धर्म से मजहब लडा़ना आ गया।। 4
देखकर उनकी गली मे अब मुझे।
लोग कहते हैं दिवाना आ गया।। 5
देखकर हालत जमाने की मुझे।
दर्द को दिल में छुपाना आ गया।।6
कल तलक जो आम थे अब खास हैं।
अब बहाना भी बनाना आ गया।। 7
चांद तारे शर्म से सब छुप गये।
जब उन्हे सजना सजाना आ गया।। 8
हो गया महबूब मेरा भी जवां।
अब उसे भी दिल चुराना आ गया।। 9
गैर कोई अब मुझे दिखता नहीं।
“दीप” दिल का अब जलाना आ गया।। 10
प्रदीप कुमार