हाथ पसारने का दिन ना आए
हाथ पसारने का दिन ना आए
मन स्वयं लज्जा से भर जाए
औरों की क्यों बात करे कोई
अपने भी राह बदल कर जाए
पारस नाथ झा
हाथ पसारने का दिन ना आए
मन स्वयं लज्जा से भर जाए
औरों की क्यों बात करे कोई
अपने भी राह बदल कर जाए
पारस नाथ झा