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24 Dec 2024 · 1 min read

हाथ थाम लो मेरा

हाथ थाम लो मेरा ,आगाज़ ए सफ़र हो।
सहमी हुई शब की , खूबसूरत सहर हो।

भूल जाएं हम दोनों , हर शिकवा गिला
मैं प्यासी धरा सी ,तुम बरसते अंबर हो।

हम तेरे दिल की बात ,कैसे जान पाते
हमख़्याल नहीं माना ,मगर हमसफ़र हो।

जिसकी उम्मीद से चौंक जाते हैं बार बार
अपनी दुनिया में तो तुम वो खुशखबर हो

हाथ न छूटे हमारा ,साथ भी न टूटे कभी
खिज़ा के मौसमों में भी ,हरा शज़र हो।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
9 Views
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