हाथ जिनकी तरफ बढ़ाते हैं
हाथ जिनकी तरफ बढ़ाते हैं
उम्र भर वो हमको आज़माते है।
करते हैं हम पर वो हज़ारो सितम
हम ज़ख़्म खाकर भी मुस्कुराते हैं।।
Phool gufran
हाथ जिनकी तरफ बढ़ाते हैं
उम्र भर वो हमको आज़माते है।
करते हैं हम पर वो हज़ारो सितम
हम ज़ख़्म खाकर भी मुस्कुराते हैं।।
Phool gufran