हाकिम से सवाल
राम-रहीम तो
ठीक है लेकिन
काम कहां है?
हमारे ख़ून
और पसीने का
दाम कहां है?
तुम बाभन,
मैं दलित,
यह आदिवासी,
वह पिछड़ा!
इस जात-पात की
भीड़ में
इंसान कहां है?
Shekhar Chandra Mitra
#इंकलाब #मजदूर #खुदकुशी #विद्रोह #आत्महत्या
#Labour #suicides #क्रांति #रोजगार #मजदूरी