हाइकू
धूप सी खिली
मौसम मनचली
तूफाँ में ढ,ली।
स‰य की कही
दुनियाँ के कानों में
बम सी पड,ी।
पुराना रोग
शरीर के घर में
मचा तूफान।
शीशे सा सच
आदमी के मन को
तोड, सा गया।
तूफान चली
छोटी सी चिडि,या है
होगी सहेलीॐ
भादो का माह
खेत व खलिहान
हुआ न खुश।
शादी के बाद
बजी है शहनाइ–
सूखा था कंठ।
प््राभु की कृपा
मन्दिर में था बंद
पैसे से खुला।
सके न लिख
कमप्युटर युग
देखा था शब्द।
रँगीन तो था
अखबार का पन्ना
खून था सना।
नेता ने दिया
जोश भरा भाषण
दंगा जनमा।
पंडा का पोथा
पूव–ज पंजीकृत
दक्षिणा ‘हक’।
तीस ठो दिन
टका टका मजूरी
भूख नसीब।
करें विद्रोह
देवता या पुजारी
किससे करें?
बड,ा घराना
शासन–प्रशासन
मूक,,।बधिर।
‘हरा’1 है तो क्या
चीर नहीं तो न्याय
जायेगा मिल।
न्याय बिकाऊ
यकीन नहीं हुआ
बिकना पड,ा।
न्याय बिकाऊ
यकीन नहीं किया।
हमेशा हारा।
कवि का द्वार
आपका है स्वागत।
कविता नहींॐ
कृपा प्रसाद
अरे नाम नहीं है
चाहिए मुझे।
ब्रा*मणवाद
हिन्दु‰व का आतंक
गंदला पंक।
पूजा का स्थल
धामि–क धृतराष्ट्र।
अधमी– युद्ध।
दंगे का कम–
धम–हीन जो होता
रक्त मुस्काता।
धम– हमारा
पास नहीं हमारे
पूजकों के पास।
पुरोहिताइ–
झ्ूठ का पोती–पत्राा
बिना व्याकरण।
आदिवासी का
बफ– सा ठंढ,ा क्रोध।
जिए विरोध।
जँगली हवाॐ
बन जँगली आग
मैदान क्रुर।
हवा कृषक
तारे होते फसल
मनुष्य सुखी।
यौन सम्बन्ध
व्यवसायिक सुख
लिया सो दिया।
संस्कृत तो है
भाषाओं में सामंत
‘आम ’ से दूर।
गीता का झूठ।
ह‰या नहीं है पाप
अमर आ‰मा।
मत हो दंग
जन्म देता है जंग
उम्मीद भ