हाइकू (वर्षा सुन्दरी )
झनन -झन
झनकाती घुघरूँ
पहन के वो
पाजेब भारी
ठुमकती आ रही
वर्षा सुन्दरी
मधु स्मित सी
भर के मधु मुस्काँ
लजाती खड़ी
हरी -भरी हो
धरा प्यास बुझाती
मन रिझाती
मेघा घिरे है
घरर घरर के
बादलों बीच
हुलसाते है
तर-बतर तन
मन ठन्डाते
~~डॉ मधु त्रिवेदी ~~