हाइकू — जीवन जंग
जीवन जंग।
बुढ़ापा पराजय।
मृत्यु विजय।
सारा अपूर्ण।
आदमी जीये तो क्या!
युद्ध?जीवन?
असंभव है।
नर का नर होना।
दायरा छोटा।
स्पंदन है,तो।
वही तत्व,यौगिक।
जीव-प्रारूप।
पश्चात मृत्यु।
शून्य में ढूँढे आत्मा।
देह का लोभ।
प्राण का प्रण।
चखेंगे सारी तृष्णा।
‘कबर’ तक।
होली का मन।
सुंदर,स्वच्छ,स्वस्थ।
भंगेड़ी तन।
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