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25 May 2016 · 1 min read

हाइकु

कुछ हाइकु

अपनी प्रीत
जैसे हो बारिश में
घुला संगीत

देके फुहार
धरती को वर्षा का
दो उपहार

दुखी संसार
कही बाढ़ तो कहीं
सूखे की मार

बुँदे गाती
सुर ताल मिलाती
ये हरियाली

उदास नदी
बरसती अगन
धरती तपी

खोदो तालाब
भर लेना उसमें
वर्षा का आब

डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
386 Views
Books from Dr Archana Gupta
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