हाइकु
हायकु
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तिरंगा मंच
में लहराते बच्चे~~
सलामी धुन
माँ ने पकायी
पालक, आलू, रोटी~~
दाल की गंध
सूर्य कांति का
प्रतिबिम्ब जल में ~
खिला कमल
गीली युवती
पानी की फुहार में ~
इंद्र धनुष
कपास खेत
में विधवा व बच्चा–
भ्रमर गूँज
रात रानी की
खुशबू बह रही~
लोरी गाती माँ
पत्ते से गिरी
पानी बूँद झील में —
भेक की कूद
गन्ने का खेत~
बिल्ली के पंजे दबी
चूहा का बच्चा
अंत्येष्टी कर्म ~
साहिल में माता की
फोटो पे माला
चांदनी रात–
उसके स्मरण में
रात्रि पहरा
डीजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”