हाइकु
“यादें”
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(1)तुम्हारी यादें
परछाईं सी साथ
हमेशा रहें।
(2)बरसों बाद
यादों के झरोखे से
भीतर झाँका।
(3)यादों के साए
पतझड़ हो गए
उदास राहें।
(4)पागल मन
यादों की डोर बँधा
आसमाँ छुए।
(5)याद तुम्हारी
तकिए भिगो जाती
उर से लग।
(6)नीम के झूले
बचपन की यादें
पेंग बढ़ातीं।
(7)पुरानी यादें
झुलसी कल्पनाएँ
बुझादो दीप।
(8)माँ का आँचल
बरगद की छाँव
सूना है गाँव।
(9)चंचल धूप
यादों के खरगोश
दौड़ लगाएँ।
(10)पुराना शाल
यादों से लिपट के
बुनता ख्वाब।
(11)यादों की बाती
मन का दीपक
मुझे जलाएँ।
(12) विरहा रात
अलाव में जलाती
यादों के ख़त।
(13)चित्र उकेरे
ग़ज़ल, कविता ने
बुने सपने।
(14)फूला पलाश
यादों की बगिया में
आया बसंत।
(15)खोली किताब
यादों के पन्ने झाँके
मिला गुलाब।
(16)तुम्हारी यादें
गवाह आँसुओं का
बना तकिया।
(17)वीरानी रातें
पतझड़ जीवन
यादों ने सींचा।
(18)यादें दीपक
दिल के अँधियारे
रौशन करें।
(19)बापू की लाठी
खोज रही सहारा
घर-आँगन।
(20)याद सँजोती
सुख-दु:ख की गाथा
वर्षों पुरानी।
(21)नानी का घर
बाबुल की गलियाँ
भूल न पाई।
(22)राह निहारे
दरवाजे लटकी
माँ की ममता।
(23)व्याकुल मन
फड़फड़ा रहा है
याद में तेरी।
(24)सागर तट
बालू के घरौंदों को
ढूँढ़ती यादें।
(25)तुम्हारी यादें
नयनों में दीप सी
जलती रहीं।
(26)दिल का कोना
यादों के पुलंदों को
सँजो रखता।
(27)नीम के झूले
याद दिलाते मुझे
बीता यौवन।
(28) सौंधी खुशबू
बारिश का मौसम
याद आता है।
(29)याद तो होगा
लड़ना-झगड़ना
बचपन का।
(30)नहीं भूलता
बस्ते का बोझा ढोना
नन्हे काँधों पे।
(31)माँ की रसोई
पिता की पुचकार
याद रुलाती।
(32)पहलदूज
संग तारे गिनना
कभी न भूली।
(33)कल की यादें
आज भी ताज़ा मिलीं
बातें करती।
(34)तूफ़ान उठा
यादों का अंतस में
थमता नहीं।
(35)गाड़ी में बने
अजनबी रिश्तों को
घर ले आई।
डॉ. रजनी अग्रवाल”वाग्देवी रत्ना”
वाराणसी(उ. प्र.)
संपादिका-साहित्य धरोहर।