“हाइकु”
“हाइकु”
मन बीमार
ठंडी गर्मी बरसात
बहे बयार॥
कापें बदन
क्यो रूठे हो सजन
घर आँगन॥
पसरा बैर
दिन में रात खैर
सुलाए जैर॥
पीने का शौक
सबब क्या जीने का
मुरछा मौज॥
बंद ढक्कन
भरी कड़वी दवा
खुले तो जाने॥
महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी
“हाइकु”
मन बीमार
ठंडी गर्मी बरसात
बहे बयार॥
कापें बदन
क्यो रूठे हो सजन
घर आँगन॥
पसरा बैर
दिन में रात खैर
सुलाए जैर॥
पीने का शौक
सबब क्या जीने का
मुरछा मौज॥
बंद ढक्कन
भरी कड़वी दवा
खुले तो जाने॥
महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी