हाइकु
✍??प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
हाइकु
प्रीत की डोरी
मजबूत रखना
उर जोड़ती ।
●●
मन का मृग
ईश्वर की तलाश
कस्तूरी चाँद ।
●●
साँसों में हिन्दी
मिट्टी की है सौरभ
गौरव हिन्दी ।
●●
स्वयं को तोल ।
तराज़ू बताएगा
सच का मोल ।
●●
चली कुल्हाड़ी
ठूँठ पे बैठी पाखी
देती गवाही ।
●●
मृग नादान
कस्तूरी की तलाश
गँवाया प्राण ।
●●●●
✍?©?प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
साँकरा, जि-रायगढ़ (छ.ग.)
Mob. 7828104111