हाइकु
हाइकु
जल
उफ़ ये प्यास
चिलचिलाती धूप
सूखे हैं कूप।
बढ़ा संताप
हैं ताकते आकाश
जल की आस।
नीर अमि सा
मिश्री सा खरबूजा
पेय मधुर।
पानी जीवन
है वसुंधरा पर
ये वरदान।
जल अपार
मेघ लिए घूमते
पृथ्वी तरसे।
जल संचय
कर लो मिलकर
है ये जीवन।
नीलम शर्मा