हाइकु
हाइकु
(१) ठूंठ हो गई
गुलज़ार जिंदगी
वृक्ष न काटो।
(२) राष्ट्र हमारा
सियासत उनकी
गई निगल।
(३) भूला बिसरा
बचपन जो बीता
ढूंढ रहे हैं।
(४) पुष्प खिलता
तालाब में नीरज
तूम मन में।
(५) भोर का पक्षी
नहीं रुक पायेगा
ये दिल मेरा।
(६) प्रीत तुम्हारी
सुनहरे सपने
देखती आंखें।
(७) छला है मन
वेदना अभिव्यक्ति
आंखें करती।
नीलम शर्मा