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2 Apr 2024 · 1 min read

हाइकु: सत्य छिपता नहीं!

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सत्ता का साया-
अपराधी को बरी!
निर्दोष दोषी।
———————-
गुना करके-
गुनेहगार बरी!
सत्य छुपाते।
———————-
कई निर्दोष-
सत्य के अभाव में!
सजा भोगते।
———————-
आरक्षक की
तहकीकात सत्य!
दोषी को सजा।
———————–
सत्य को खोजा-
अधिवक्ता का फर्ज़!
निर्दोष बरी।
———————–
कचहरी में-
सबूत सर्वोपरि!
सत्य की जीत।
************************
रचयिता:प्रभुदयाल रानीवाल:
:==:उज्जैन:{मध्यप्रदेश}:==:
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3 Likes · 2 Comments · 689 Views

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