हाइकु: सत्य छिपता नहीं!
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सत्ता का साया-
अपराधी को बरी!
निर्दोष दोषी।
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गुना करके-
गुनेहगार बरी!
सत्य छुपाते।
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कई निर्दोष-
सत्य के अभाव में!
सजा भोगते।
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आरक्षक की
तहकीकात सत्य!
दोषी को सजा।
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सत्य को खोजा-
अधिवक्ता का फर्ज़!
निर्दोष बरी।
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कचहरी में-
सबूत सर्वोपरि!
सत्य की जीत।
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रचयिता:प्रभुदयाल रानीवाल:
:==:उज्जैन:{मध्यप्रदेश}:==:
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