*हाइकु-माला
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तन से काली ॥
पर हिय से वह –
शुभ्र दिवाली ॥
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मेरी मंज़िल ॥
ग़ैर मुमकिन सा –
आपका दिल ॥
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अति नव्य है ॥
सच ही घर तेरा –
अति भव्य है ॥
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आ जा सजलें ॥
दुख से बचकर –
थोड़ा नचलें ॥
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थक रहा हूँ ॥
पल दो पल भर –
रुक रहा हूँ ॥
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-डॉ. हीरालाल प्रजापति