हाइकु माला-लहर
हाइकु माला
झीना झीना है
लहरों का घूँघट
झाँके है चाँद
चली हिलोर
छोर से उस छोर
चूमने अभ्र
है इठलाता
उफनता यौवन
पिघले चंदा
लहर चली
छोड़ बाबुल गली
पिया मिलन
मन उमंग
मचले है तरंग
लूँ अर्क अंक
जाल बिछाए
शिकारी हिलकोर
भानु फँसाए
लहराये है
ममता का आँचल
गोद में रवि
रेखांकन।रेखा