हाइकु : जलूं न कैसे
आड़ी – तिरछी
किस्मत की लकीरें
समझूं कैसे !!
मुठ्ठी में बन्द
भविष्य है अपना
बदलूं कैसे !!
बादशाह हो
तक़दीर के तुम
पाओ खुशियाँ !!
बन बैठे हो
किसी और के तुम
जलूं न कैसे !!
अंजु गुप्ता
आड़ी – तिरछी
किस्मत की लकीरें
समझूं कैसे !!
मुठ्ठी में बन्द
भविष्य है अपना
बदलूं कैसे !!
बादशाह हो
तक़दीर के तुम
पाओ खुशियाँ !!
बन बैठे हो
किसी और के तुम
जलूं न कैसे !!
अंजु गुप्ता