हाइकु : जर्जर काया
हाइकु
जर्जर काया,
इच्छाएँ खंडहर,
जीने को मरे
नम नयन,
गालों के सूखे आँसू,
पुकारें तुम्हें !
छायी बदरी,
व्याकुल फिर मन,
गीला तकिया !
लकीरें मेरी,
हैं विधाता ने लिखीं,
बदलूंगी मैं !
अंजु गुप्ता
हाइकु
जर्जर काया,
इच्छाएँ खंडहर,
जीने को मरे
नम नयन,
गालों के सूखे आँसू,
पुकारें तुम्हें !
छायी बदरी,
व्याकुल फिर मन,
गीला तकिया !
लकीरें मेरी,
हैं विधाता ने लिखीं,
बदलूंगी मैं !
अंजु गुप्ता