हां मैं ही बलात्कारी हूं और मैं ही चमत्कारी हूं।
हां मैं ही बलात्कारी हूं।
और मैं ही चमत्कारी हूं।
मैं सबसे बड़ा नास्तिक
और मैं ही पुजारी हूं।
मैं मन्दिर और मस्ज़िद में
दोनों का ही प्रभारी हूं।
इज़्ज़त मेरी जो लूटी थी
मर्द भी और मैं ही नारी हूं।
बच्चियां जब रोई घर में
तो देखा मैं ही इच्छाधारी हूं।
– नितिन धामा