हां मैं स्त्री हूं
नीले नभ में अवतरित एक अभिव्यक्ति हूं मैं
जल में शोभित एक जलपरी हूं मैं
मुसकुराते हुए पुष्प की कोमलता हूं
और उस वीर पुरुष के धनुष से निकला तीष्ण तीर हूं मैं
हां एक स्त्री हूं मैं
वाचालो में वाचाल हूं
गम्भीर एक प्रश्न हूं मैं
रहस्यों में रहस्य
आयुर्वेद की औषधि हूं मैं
हां एक स्त्री हूं मैं
तुम्हारे पौरूष का विवेक हूं मैं
अग्नि का ताप हूं मैं
जल का लचीलापन
और वायु का वेग हूं मैं
हां एक स्त्री हूं मैं
साहित्य का अभिन्न अंग हूं मैं
महाकाव्यों के रचने की प्रेरणा हूं मैं
सृष्टि की सहारिणी मां काली
और ज्ञान की देवी स्वयं मां सरस्वती हूं मैं
हां एक स्त्री हूं मैं
युद्ध में ललकारने वाली लक्ष्मीबाई हूं मैं
हर रोज़ की समय सारिणी हूं मैं
कभी इन्दिरा कभी कल्पना की उड़ान हूं
और अगर नहीं मानते वजूद मेरा,
नकार नहीं सकते – सृष्टि की जन्मदायिनी हूं मैं
हां एक स्त्री हूं मैं
Anjali A
दिल्ली रोहिणी