Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Oct 2020 · 1 min read

हां मैं एक लड़की हूं। ?

हां मैं एक लड़की हूं ,शक्ति का परिचायक हू।
हां मुझे गर्व है कि मैं एक लड़की हूं ।
दूर आसमान में अपनी जगह बनाऊंगी मैं
बंदी पैरों में जंजीर तोड़ अपनी नई पहचान बनाऊंगी मैं।
मैं एक लड़की हूं, शक्ति का परिचायक हूं ।
मैं किसी से कम नहीं यह सारी दुनिया को बताऊंगी।
जोश हैं कुछ कर दिखाने का मन में भरा आत्मविश्वास ।
संघर्षों से टकराना अब सीख लिया मुश्किल हो या कोई हाहाकार
मैं खुद में एक सकती हूं ना किसी की मोहताज
हर पीड़ा को सहकर आज खुद को मैंने संभाला है ।
आज अपनी ताकत को सबके सामने लाना है ।
अब बहुत हुआ अब बहुत हुआ
पुरुषों के तानाशाही शासन का
हत्या हो ,शोषण हो या कोई हो बलात्कार
मुश्किल हो या कोई हाहा कार
सब को सबक सिखाना है।
हर लड़की की आवाज को देश की आवाज बनाना है।
अब इतिहास एक नया रचना है।
दुर्गा काली बन हर पापी का संघार करना है।
आजादी की नींव में युग का नया निर्माण करना है।
भूल गया आज जमाना
कल भी लड़कियां आगे थी आज भी लड़कियां आगे हैं
वो दौर कोई पुराना नहीं।
जब कल्पना चावला सुनीता विलियम्स किरण बेदी साइना नेहवाल जैसी लड़कियों ने देश के परचम को लहराया था
हां मैं एक लड़की हूं शक्ति का परिचायक हूँ।

Language: Hindi
7 Likes · 6 Comments · 363 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
लोगों को सत्य कहना अच्छा लगता है
लोगों को सत्य कहना अच्छा लगता है
Sonam Puneet Dubey
ଧରା ଜଳେ ନିଦାଘରେ
ଧରା ଜଳେ ନିଦାଘରେ
Bidyadhar Mantry
आज के इस स्वार्थी युग में...
आज के इस स्वार्थी युग में...
Ajit Kumar "Karn"
*********आजादी की कीमत***********
*********आजादी की कीमत***********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मुक्तक...
मुक्तक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
वक्त नहीं है
वक्त नहीं है
VINOD CHAUHAN
तेरे चेहरे को जब भी देखा है मुझको एक राज़ नज़र आया है।
तेरे चेहरे को जब भी देखा है मुझको एक राज़ नज़र आया है।
Phool gufran
*नज़ाकत या उल्फत*
*नज़ाकत या उल्फत*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अगर भटक जाओगे राहों से, मंज़िल न पा सकोगे,
अगर भटक जाओगे राहों से, मंज़िल न पा सकोगे,
पूर्वार्थ
“बचपन में जब पढ़ा करते थे ,
“बचपन में जब पढ़ा करते थे ,
Neeraj kumar Soni
संत रविदास!
संत रविदास!
Bodhisatva kastooriya
मत करो हमसे यह परदा
मत करो हमसे यह परदा
gurudeenverma198
*जिंदगी के अनोखे रंग*
*जिंदगी के अनोखे रंग*
Harminder Kaur
बहुत कुछ अरमान थे दिल में हमारे ।
बहुत कुछ अरमान थे दिल में हमारे ।
Rajesh vyas
जय मां शारदे
जय मां शारदे
Mukesh Kumar Sonkar
..
..
*प्रणय प्रभात*
वक़्त जो
वक़्त जो
Dr fauzia Naseem shad
നല്ല നാളുകൾ.
നല്ല നാളുകൾ.
Heera S
* मधुमास *
* मधुमास *
surenderpal vaidya
3955.💐 *पूर्णिका* 💐
3955.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
रैन  स्वप्न  की  उर्वशी, मौन  प्रणय की प्यास ।
रैन स्वप्न की उर्वशी, मौन प्रणय की प्यास ।
sushil sarna
हमें अपने जीवन को विशिष्ट रूप से देखना होगा तभी हम स्वयं के
हमें अपने जीवन को विशिष्ट रूप से देखना होगा तभी हम स्वयं के
Ravikesh Jha
"भिखारियों की क्वालिटी"
Dr. Kishan tandon kranti
वह मुझे दोस्त कहता, और मेरी हर बेबसी पर हँसता रहा ।
वह मुझे दोस्त कहता, और मेरी हर बेबसी पर हँसता रहा ।
TAMANNA BILASPURI
खुद की एक पहचान बनाओ
खुद की एक पहचान बनाओ
Vandna Thakur
मरना क्यों?
मरना क्यों?
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
भारत का सिपाही
भारत का सिपाही
आनन्द मिश्र
*दोहा*
*दोहा*
Ravi Prakash
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उलझी हुई है ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ सँवार दे,
उलझी हुई है ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ सँवार दे,
SHAMA PARVEEN
Loading...