हाँ ! हम सब मज़दूर हैं ( 01/05/2020…मज़दूर दिवस )
हाँ ! ये जो मज़दूर हैं
मेहनत से नही दूर हैं
पसीने से भरपूर हैं
थकान से बेहद चूर हैं ,
क्या होती है मज़दूरी ?
नही मेहनत से होती दूरी
दम भर कर काम करो
फिर थोड़ा आराम करो ,
मेहनत तो भरपूर है
पर भोग विलासिता दूर है
किसका ये क़ुसूर है
कैसा ये दस्तूर है ?
आज वक़्त घूम गया
सबके हाथों को चूम गया
हर एक को सबक़ सीखा गया
मेहनत पर यक़ीन दिखा गया ,
आज सब मेहनत कर रहे
मेहनत करके सब तर रहे
अपनों के दुख हर रहे
फिर मज़दूर शब्द से क्यों डर रहे ?
मेहनत तो वो धन है
हरता सबका मन है
स्वस्थ रखता तन है
मज़दूर हर एक एक जन है ,
आओ बोलें शान से
मिल कर सब जी जान से
मेहनत से नही दूर हैं
हाँ ! हम भी मज़दूर हैं ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 01/05/2020 )