हाँ मै नारी हूँ
हाँ मैं एक नारी हूँँ,
अपने ही उलझनों में
उलझी मैं वह क्यारी हूँ,
पति, पिता, भाई और बेटे के
बीच मैं अपने को
साबित करती हूँ।
एक बार ठोकर खाकर
बार-बार संभलती हूँ।
जज्बात मेंं फँसी हुई
मैं कर्म के बंधन में बंधी
हुई हूँ।
न कोई साथ भी दे तो
अकेले चलने का
हुनर रखती हूँ।
कठिनाई भरे रास्तों पर
भी चलकर मंजिल
तक पहुंच ही जाती हूँ।
मैं अगर जिद पर अड़ जाऊं तो
सिंंहासन को भी हिला सकती हूँ
हाँ मैं नारी हूँ।