हाँ, मैं महसूस करना चाहता हूँ
हाँ, मैं महसूस करना चाहता हूँ,
तुम्हारी केवल सुंदरता को ही नहीं,
वरन् तुम्हारी वेदना को भी,
तुम्हारे दिल की तन्हाई को भी।
हाँ, मैं महसूस….
हाँ मैं जानना चाहता हूँ,
तुम्हारी सारी कमियों को,
तुम्हारे मन में बसे हर डर को,
हर अँधेरे को, ख़ामोशी को।
हाँ, मैं महसूस….
हाँ मैं बांटना चाहता हूँ,
तुम्हारी आत्मा के हर बोझ को,
तुम्हारे अंदर के हर घाव को,
हर दर्द को, हर ज़ख्म को।
हाँ, मैं महसूस….
हाँ मैं जीना चाहता हूँ, संग तुम्हारे,
केवल तुम्हारे बसन्त को ही नहीं, पतझड़ को भी, तूफ़ान को भी,
केवल तुम्हारी मुस्कान को ही नहीं, आंसू को भी, उदासी को भी,
केवल तुम्हारे प्रेम को ही नहीं, नफरत को भी, नाराज़गियों को भी।
हाँ, मैं महसूस….
————-शैंकी भाटिया
अक्टूबर 3, 2016