हाँ, मैं एक हाऊस वाईफ हूँ
घर में हर दिल की फरमाईश हूँ
हाँ, मैं एक हाऊस वाईफ हूँ
अर्द्धांगिनी जिसकी बन के आई
वो कहते मुझको वाईफ हैं
बिन कहे, मैं उनके मन को जानूँ
उनकी खामोशी, मैं झट पहचानूँ
हर कदम मैं, उनके संग-संग चलती
कहते वो मुझको लाईफ हैं
पति परमेश्वर के मन की च्वाइस हूँ
हाँ, मैं एक हाऊस वाईफ हूँ
बड़े बुढ़ो की सेवा करती
उनका मान सदा मैं रखती
उलाहना और ताने सुनकर
उच्च संस्कार का ओढ़े घूंघट
मैं हरदम ,चुप ही रहती
उनके हर दु:ख दर्द की नुमाइश हूँ
हाँ ,मै एक हाउस वाईफ हूँ
सुबह सबेरे, भोर से उठती
काम घर के, झटपट मैं करती
घर का किचन सम्भालती हूँ
अन्नपूर्णा, मैं बन जाती हूँ
जब कपड़े, सब के धोती हूँ
मैं तब धोबन बन जाती हूँ
कहते , इस घर की अगली वारिस हूँ
हाँ, मैं एक हाऊस वाईफ हूँ
घेरे कोई,घर में मर्ज किसी को
मैं परिचारिका बन जाती हूँ
बच्चा जब कोई, जिद करे
एक माँ का फर्ज निभाती हूँ
सर्दी-खांँसी, या कोई छोटी बीमारी
दादी बन, नुस्खे आजमाती हूँ
बच्चे की, हर जिद की मैं फरमाईश हूँ
हाँ, मै एक हाऊस वाईफ हूँ
रेखा कापसे
होशंगाबाद ( मप्र)