हाँ अंधेरों की भी आवाज होती है!
क्या अंधेरों की भी आवाज होती है
हाँ होती है क्योंकि
जब उजाला साथ छोड़ देता
तब अँधेरों से ही बात होती है
दिन की बहार दिल तोड़े जब
तब ही तो रात होती है।
हर चीज जब खुद में
मदहोश हो जाती है
रोशनी भी जब थककर
ख़ामोश हो जाती है।
तब अँधेरा ही साथ देता है
हमारे सुने हाथों में हाथ देता है
उजाला जब बनता अंधेरा
तब अँधेरा बन उजाला साथ देता है।
ऐसे में अँधेरों से ही हर परवाज़ होती है
होता तब शामिल तन्हाई में अंधेरा
और उससे ही खुलकर हर बात होती है
हाँ होती,अँधेरों की भी आवाज होती है!
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
Priya princess panwar
स्वरचित,मौलिक