हसीं लबों पे हँसी सजाते हैं…..
चलो खुल के मुस्कुराते हैं
हसीं लबों पे हँसी सजाते हैं
अरमान हों दिल में तो क्या तरन्नुम
चलो होटों को थोड़ा हिलाते हैं
सुर ताल में गाना चाहे नहीं आता
चलो थोड़ा फिर से गुन गुनाते हैं
दीवारों के पीछे कहीं खो गया बचपन
चलो फिर से रेत में घर बनाते हैं
पोशाक ख़राब हो जाए तो क्या
चलो बारिश में भीग के आते हैं
स्मार्ट फ़ोन में ऊँगलीयां हैं व्यस्त
थोड़ा होटों पे तब्बसुम सजाते हैं
कहीं होंट भूल ना जाएँ हलचल
थोड़ा खुल के मुस्कुराते हैं
हसीं लबों पे हँसी सजाते हैं
-राजेश्वर