हसीं कोई नहीं
हसीं कोई नहीं (ग़ज़ल)
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तुमसा हसीं है कोई नहीं,
देखा तुझे मैं सोई नहीं।
हमको सुबह से ही ताक है,
है शाम अब तक होई नहीं।
हम बेवफाई सहते रहे,
सहती रही सब रोई नहीं।
दिन रात तुमको हैं चाहते,
तेरे बिना साजन खोई नहीं।
सहते रहे मनसीरत तपस,
यूं प्यार की ली लोई नहीं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)