हसरत
टूटे पैमाने को, फिर होठों से लगाना चाहती है
है कितनी मोहब्बत,अब भी जताना चाहती है
हम तो हार गये मनहूस जिंदगी पर ,ऐतबार कर करके ‘देव’
,तू है कि इक हसीन लम्हा ,हमारे साथ, बिताना चाहती है
टूटे पैमाने को, फिर होठों से लगाना चाहती है
है कितनी मोहब्बत,अब भी जताना चाहती है
हम तो हार गये मनहूस जिंदगी पर ,ऐतबार कर करके ‘देव’
,तू है कि इक हसीन लम्हा ,हमारे साथ, बिताना चाहती है