हसरत और जिंदगी
‘हसरत’ ने ‘जिंदगी ‘से आँचल से झांक कर पूछा- मै कब पूरी होऊंगी?
जिंदगी ने कठोर लहजे में जबाब दिया- कभी नही।
हसरत ने कहा – क्यों?
जिंदगी ने समझाया-तुम्हारे ही सहारे तो दुनिया चल रही है और मेरा अस्तित्व भी है।जब तुम ही नही रहोगे तो इन्सान के पास जीने का कोई मकसद ही नही होगा।इसलिए तुम्हे कभी ख़त्म नही होना है।
हसरत ने जिंदगी का जबाब सुनकर अपने आँचल में फिर से सर झुका लिया।