हसरतें..
प्यार भरी हसरतें थी,
तेरे साथ लम्बां सफर करने की,
तेरे साथ बैठने की गुफ्तगू करने की,
वक्त भी दे रहा था साथ,
पल भी थोड़ा सा रुक गया था,
मौका भी लौट कर आया था शायद,
उसको भी परवाह थी हमारी….!!
चाहत को भी था भरोसा…पर…!
क्या… वजह हुई जो टूटे खाव्ब हमारे…!!
ख़ामोशी में ऐसा जादू छाया,
ऐ साथ भी जिंदगी को न भाया…!!!!