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12 Apr 2017 · 1 min read

हवा

सुलगती आग को और भड़का देगी हवा
धुँआ बहुत दूर तक उड़ा ले जायेगी हवा

साया-ऐ-शजर पर भरोसा नहीं कीजिये
जानें कब दरख्तों को गिरा जायेगी हवा

दिलों की रौशनी से ख़्वाबों को सजाओ
चराग आँधियों में तो बुझा जायेगी हवा

जल गया क्या खाक हुआ जान न पाए
हवा से पूछिए हालात बता जायेगी हवा

सौदा करें तो सिर्फ अपने आपसे’मिलन’
ऐसे में किसीको न सज़ा दे जायेगी हवा !!

मिलन “मोनी”

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