हवा: पाँच हाइकु
हवा: पाँच हाइकु
// दिनेश एल० “जैहिंद”
क्षिति, पावक,
जल, नभ, समीरा
लोक मिश्रण ।
पाकर वायु
बढ़ती जंतु आयु
है हवा प्राण ।
द्रव स्वरूप
वात का एक रूप
मीन संसार ।
ज्यों आक्सीजन
है धरा पे जीवन
पृथ्वी निर्जन ।
हवा हवाई
है उत्तम दवाई
सुनो रे भाई ।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
15. 07. 2017