हवा चली है ज़ोर-ज़ोर से
हवा चली है ज़ोर-ज़ोर से, घिरी घटा घंघोर|
पेड़ संग में झूल रहे सब, पत्ते करते शोर|
बादल करते घनर-घनर कर, बारिश का एलान|
पक्षी उड़ते आसमान में, छेड़े मधुरम तान|
मोर ताकते आसमान में, आया है चितचोर|
हवा चली है ज़ोर-ज़ोर से, घिरी घटा घंघोर|
आंगन में है भीड़-भड़क्का, बिछा हुआ है खाट|
बैठ हवा में गप्पे मारे, खाते सब मिल बाट|
बच्चे करते हल्ला-गुल्ला, लगा रहे हरहोर|
हवा चली है ज़ोर-ज़ोर से, घिरी घटा घंघोर|
तभी हवा ने मुखरा बदला, टिप-टिप गिरती बूँद|
मज़ा ले रहे बारिश का सब, अपनी आँखें मूँद|
नाच रहे सब छम-छम कर के, बाँध प्रीत की डोर|
हवा चली है ज़ोर-ज़ोर से, घिरी घटा घंघोर|
वेधा सिंह