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1 Dec 2018 · 1 min read

हवाओं को सोता हूं

महकती हुई हवाओं के साथ सदा होता हूं मैं,
झोंका दुर्गंध का आता है तो बस रोता हूं मैं।
बूढ़ा बाप हूं तुम्हारा ये कांधे कभी नहीं हारेंगे,
यह मत पूछना कि इतना बोझा क्यों ढ़ोता हूं मैं।
कोई बुरा सपना भी कभी तुम्हें छू न ले इसीलिए,
सोता हूं , तो भी आंखें खोलकर ही सोता हूं मैं ।
श्री मैं चाहता हूं कि तुमको ताजा हवाऐं ही मिलें,
तुम्हारे वास्ते ही हर रोज हवाओं को बोता हूं मैं।

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