हवस या वासना
कचरे के ढेर पर कूड़ा बीनती एक लड़की
तन को ढक कर गुजर रही सब से बचकर
न जाने कहाँ से नजर पड़ी कुछ दरिंदों की
उठा ले चले उस की अस्मत से खेलने एक पल में !!
रखा उस को ले जाकर अनजान जगह पर
बारी बारी से किया उस का बलात्कार
जला कर मोमबती की ज्वाला से खुद को
किया उसके तन पर वासना से लिप्त अत्याचार !!
जब कर लिया सब ने उस का अबला का शिकार
खुद को मस्त किया और किया ख़ुशी का सिंगार
जलती छोड़ के मोमबतयां आ गए बाहर
चार मोमबाती, चार जिन्दगी हो गयी वीरान !!
उस अबला को जब आया होश तो उस ने
उड़ा दिया एक एक कर के सब का होश
नाचने लगी पास आ आकर वो बार बार
बोली अब आ जाओ और करो फिर मेरा शिकार !!
उस ने चौका दिया एक पल में उन सब को
कहा मैने दे दिया गिफ्ट में तुम्हे अपना यह प्यार
मुझ को वो बिमारी थी..जो कभी खत्म न होगी
अब तुम जिओ जिन्दगी अपनी और करो मौत का इन्तेजार !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ