हवस में कहाँ।
जलन है नहीं मेरे तन की ये यारों
मेरे प्राण धू- धू जले जा रहे हैं,
न आखों में पानी, नहीं नेक नीयत
हवस में कहाँ हम चले जा रहे हैं।
अनिल।
जलन है नहीं मेरे तन की ये यारों
मेरे प्राण धू- धू जले जा रहे हैं,
न आखों में पानी, नहीं नेक नीयत
हवस में कहाँ हम चले जा रहे हैं।
अनिल।