#हवन हिया में
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★ #हवन हिया में ★
हवन हिया में धूमधूम
कहा करें हम सुनाने हमें
रूठ जाया करें कभी
आए न कोई मनाने हमें
हवन हिया में . . .
अपना पराया न हो कोई
न कोई जाने हमें
इक पगलायी-सी पवन
बादल आवारा पहचाने हमें
हवन हिया में . . .
सांसों के झुरमुट से परे
चाहतों की बस्तियाँ
सूखे पेड़ों के तने
संग अपने ताने हमें
हवन हिया में . . .
सपनों की बंद सीपियाँ
मोती झरे जो रैनदिन
स्मृतियों की श्यामा झालरें
आए हैं सब लेजाने हमें
हवन हिया में . . .
सहमी धुपीली रौनकें
ठिठकी पर्वकिलकारियाँ
अधखिली कलियाँ आस की
रखती हैं अब सिरहाने हमें
हवन हिया में . . .
हार लेकर जीत के
वचनों की ले परछाइयाँ
मनसा वाचा कर्मणा
भूत खड़े अपनाने हमें
हवन हिया में . . .
शब्दों की सीमा उस छोर तक
जिस छोर आदि अंत है
कथा व्यथा गीत कविता
हैं अभी बहुत गाने हमें
हवन हिया में धूमधूम . . . !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२