हर ज़ख्म सिला लूंगा
हर ज़ख्म सिला लूंगा,
हर गम को मिटा दूंगा,
तुम मुझको भुला देना,
मैं तुमको भुला दूंगा,
बेदर्द महोब्ब्त के,
लाख फसाने है,
कुछ तुमको सुनाये है,
कुछ खुद को सुना लूंगा,
जब दुनिया से जाऊंगा,
बस तुमको बुलाऊंगा,
गर तुम जो आये,
सीने से लगा लूंगा,
बाद, सुपुर्द् ए ख़ाक,
तुम जो आई,
साहिब से कह कर,
कब्र सजा लूंगा,