हर हाल में फिक्र तो है
** हर हाल में फिक्र तो है **
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हर हाल में उसे फिक्र तो है,
हर बात में अभी जिक्र तो है।
मिलना नसीब था नही उसका,
आखिर नसीब में हिज्र तो है।
जब दामिनी गिरी हुई हलचल,
कुछ हो न हो भला वज्र तो है।
गर्दिश मिली हमें दुखी है मन,
पा तो नहीं सके सब्र तो है।
आजाद बे’लगाम मनसीरत,
बिखरा मकान पर कब्र तो है।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)