हर सुबह सूरज बड़ी उम्मीद से
हर सुबह सूरज बड़ी उम्मीद से
सौम्य, मुस्कराता हुआ आता है ।
दुनियाँ देख तमतमा जाता है ।
आग बबूला हो लौट पड़ता है ।
शाम अस्ताचल में पहुँच,
किसी झुरमुट में ,किसी पहाड़ी के पीछे
किसी झील ,नदी या सागर में
डुबकी लगा अपना ताप मिटाता है ।