*हर साल नए पत्ते आते, रहता पेड़ पुराना (गीत)*
हर साल नए पत्ते आते, रहता पेड़ पुराना (गीत)
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हर साल नए पत्ते आते, रहता पेड़ पुराना
चक्र चल रहा है सदियों से, पर रहस्य अनजाना
1)
कैसी रीति बनाई प्रभु ने, पतझड़ में झड़ जाते
जब वसंत आता तो कोमल, नए पत्र मुस्काते
एक वर्ष में जीना-मरना, रहता सफर सुहाना
2)
अगर न झड़ते पत्र पुराने, बूढ़े पत्ते ढोता
पीले-पीले देख पत्र तब, पेड़ हमेशा रोता
मुरझाए पत्ते झड़ते हैं, मिलता नया खजाना
3)
वही पुराना पेड़ अब नया, मधुमय गीत सुनाता
मर कर भी जीवित होने का, ज्ञान उसे है आता
छिपा पुरातन में नूतन का, यों रहस्य मस्ताना
हर साल नए पत्ते आते, रहता पेड़ पुराना
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451