Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Apr 2022 · 4 min read

हर साल क्यों जलाए जाते हैं उत्तराखंड के जंगल ?

इन दिनों उत्तराखंड के जंगलों में आग लगी हुई है। हमारे देश के लोग ऑस्ट्रेलिया के जंगलों और अफ्रीका के जंगलों में आग लगने पर चिंता व्यक्त करते है। उत्तराखंड के जंगलों में हर साल आग लगाई जाती है। इस पर कोई गंभीर कार्रवाई आज तक नहीं हुई है। सरकार चाहे कांग्रेस की हो या फिर बीजेपी की। उत्तराखंड का आम जनमानस हर साल आग लगने के कारण कई समस्याओं से जूझता है। कुछ लोग उत्तराखंड के जंगलों में लगने वाली आग को सही ठहराते हैं। उनका मानना है कि उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने से बरसात के समय घास अच्छी होती है और पानी के कारण होने वाली आपदा का खतरा कम हो जाता है। पता नहीं आग को सही ठहराने वालों का यह कैसा तर्क है।

उत्तराखंड के जंगलों में आग लगाने के पीछे कई कारण होते हैं। जिनमें जंगल से लकड़ी कटान मुख्य कारण है। नवंबर से फरवरी-मार्च तक उत्तराखंड के जंगलों में लकड़ी कटान बेहिसाब होता है। अगर आपको उत्तराखंड के जंगलों में लकड़ी कटान देखना है तो आप दिसंबर और जनवरी के आसपास उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में चले जाएं। आखिर यह लकड़ी कटान क्यों होता है ? लकड़ी कटान कौन लोग करवाते हैं ? यह लकड़ी किन लोगों के पास जाती है ? आज के समय में लकड़ी का इस्तेमाल इतना ज्यादा तो नहीं है, मगर इसके बावजूद भी उत्तराखंड के जंगलों में इतना लकड़ी कटान क्यों होता है ? इस तरह की कई सवाल आपके मन में आ रहे होंगे।

उत्तराखंड में हर गांव में हर साल कुछ लोगों को लकड़ी कटान के लिए वृक्ष दिए जाते है। यह वृक्ष इसलिए दिए जाते हैं क्योंकि यहां के लोग इस वृक्ष की लकड़ी से अपने घर को रिपेयर करवा सकते है। उत्तराखंड में अधिक मात्रा में रिपेयर वाले घर बने होते है। यहां के घरों की छत करीब 10, 20, 30 सालों में बदलनी पड़ती है। ऐसे ही यहां के घर के दरवाजे और घर में कई ऐसा सामान होता है, जिसे रिपेयर करना पड़ता है। यह पेड़ देने की परंपरा अंग्रेजों के समय से चली आ रही है। इसी परंपरा के चक्कर में पांच पेड़ों के बदले 15 पेड़ काटे जाते हैं। वन विभाग के कर्मचारी एक बोतल या ₹500 के नोट में अपना मुंह बंद कर लेता है। बाकी आप जानते ही हैं कि भारत में सरकारी व्यवस्था का क्या हाल है ?

उत्तराखंड की शान यहां के जंगलों से है। अगर यहां जंगल समाप्त हो जाते हैं तो फिर उत्तराखंड में जीवन जीना बहुत ही कठिन हो जाएगा। जीवन जीने के लिए इंसानों को मुख्य रूप से पानी और हवा की जरूरत होती है। उत्तराखंड में आज जितना ही पानी है वह लगभग जंगलों से है। इसके अलावा कुछ नदियां है मगर नदियां हर पहाड़ी क्षेत्र में नहीं है। पहाड़ी क्षेत्रों में पानी प्राकृतिक स्रोत यानी पेड़ों की जड़ों से प्राप्त होता है। अगर जंगल ही नहीं रहेंगे तो फिर प्राकृतिक स्रोत से पानी कहां से आएगा ? आज उत्तराखंड से लगातार पलायन हो रहा है। उत्तराखंड के जंगल तेजी से काटे जा रहे है। जंगलों से लकड़ी की तस्करी, लीसा की तस्करी, जड़ी बूटियों की तस्करी से लेकर इत्यादि तस्करी चल रही है।

अब आप खुद सोचिए हर साल क्यों जलाए जाते हैं उत्तराखंड के जंगल ? हमारा मानना है कि उत्तराखंड के जंगलों को हर साल इसलिए जलाए जाता है क्योंकि जो जंगलों में लकड़ी के अवशेष बच जाते हैं उन अवशेषों को आग के माध्यम से ही समाप्त किया जा सकता है। सरकार द्वारा हर साल आग बुझाने के लिए करीब तीन चार महीने के लिए कर्मचारी भी नियुक्त किए जाते है। इसके बावजूद भी जंगलों में आग लग जाती है। उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने के फायदे कम नुकसान बहुत ज्यादा है। आग के कारण नए पौधे नहीं पैदा हो पाते हैं। जब नए पौधे पैदा ही नहीं होंगे तो फिर कटने वाले पेड़ों की भरपाई कैसे हो पाएगी ?

उत्तराखंड के जंगलों में आग के लिए मुख्य रूप से उत्तराखंड का वन विभाग जिम्मेदार है। वन विभाग को जंगलों के प्रति ईमानदार होने की जरूरत है। जिस भी क्षेत्र में आग लगे उस क्षेत्र के अधिकारियों पर कार्यवाही हो और जंगल की भरपाई के लिए उन अधिकारियों से मानदेय लिया जाए। जिसे जंगलों की सुरक्षा और उत्थान के लिए लगाया जाए। इसके अलावा उत्तराखंड सरकार को उत्तराखंड के हर ग्राम पंचायत में जंगलों के प्रति जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। ग्राम पंचायतों को जिम्मेदारी दी जाएगी कि वह अपने जंगलों की सुरक्षा के लिए काम करें। अगर सरकार के पास और बेहतर प्लान है तो उसे जल्द से जल्द जमीनी स्तर पर लागू किया जाए। हर साल उत्तराखंड के जंगल यूं ही जलते रहेंगे तो आने वाले समय में उत्तराखंड में रहने के लिए ऑक्सीजन के सिलेंडर साथ में लेकर चलना होगा। उत्तराखंड वासियों को इस विषय पर सोचने की जरूरत है।

– दीपक कोहली

Language: Hindi
Tag: लेख
424 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
होली
होली
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राष्ट्र हित में मतदान
राष्ट्र हित में मतदान
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
#चिंतनीय
#चिंतनीय
*प्रणय*
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...