हर सांस में तुम्हीं हो
चारों तरफ गिर रहे हैं गोले,
कहर बरप रहे हैं,
तू जो बिछड़ी गई सनम,
मेरे आंसू टपक रहे हैं।
संजोये थे कितने सपने,
सब धरे रहे गये हैं,
सारे अरमान मेरे,
आंसू में बह गये हैं।
हर वक्त आती तू ही,
चाहे जहां गई हो,
न दिल में हैं मेरे कोई,
हर धड़कन में तुम्हीं हो।
चाहे कुछ हो हो जाये हमको,
भूलेगें न कभी तुमको,
हर सांस में तुम्हीं हो,
जब तक सांसें छोड़ जाये न हमको।
————— मनहरण ।